उड़ने लगा है रंग,
दिखने लगे हैं रेशे,
और रंगत खोने लगी है/
मेरी यह कमीज
अब पुरानी होने लगी है/
वह दूसरी
जो मेरे मिजाज से
कम मेल खाती थी/
इसलिए यदा कदा हीमेरे साथ बाहर जाती थी/
अब मेरे मन को
भाने लगी है/
इस कमीज से ज्यादा
खूबसूरत नजर आने लगी है/
वक़्त के साथ अक्सर,
स्नेह सम्बन्ध खो जाता है /
जिसके बिना
कभी पल नहीं कटता,
कभी सदियों सा दूर हो जाता है /
मै इस कमीज से
वफ़ा का रिश्ता निभाऊंगा/
इसे हमेशा
अपने वार्डरोब में सजाऊंगा/
आखिर दोनों सच्चाई हैं,
रिश्तों की अक्षुनता भी
ओर वक़्त के साथ ढलना भी/
किसी का कमीज से रिश्ता बनाना,
किसी का रिश्तों को
कमीज की तरह बदलना भी /
पवन धीमान
+50938050683
...बहुत खूब,प्रसंशनीय !!!!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति, बधाई!
जवाब देंहटाएंकमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी
जवाब देंहटाएंant ki panktiyan to sab keh gayi
जवाब देंहटाएंआखिर दोनों सच्चाई हैं,
जवाब देंहटाएंरिश्तों की अक्षुनता भी
ओर वक़्त के साथ ढलना भी/
किसी का कमीज से रिश्ता बनाना,
किसी का रिश्तों को
कमीज की तरह बदलना भी /
" रिश्तो के एहसास और उनका बदलना और बदल जानी के बाद एक टीस छोड़ जाना.....बखूबी व्यक्त हुआ है."
regards
दोनों सच्चाई हैं,
जवाब देंहटाएंरिश्तों की अक्षुनता भी
ओर वक़्त के साथ ढलना भी
किसी का कमीज से रिश्ता बनाना,
किसी का रिश्तों को
कमीज की तरह बदलना भी ... waah
achha comparison kiya apne...naveenta hai kavita me...
जवाब देंहटाएंPavan ji,
जवाब देंहटाएंKya khuub kha hai aap ne...
kisi ka kameez se rishta bnna
kisi ka rishton ko kameez kee trah badlna....
Videshon main yeh sab ek shotee see baat mana jata hai...
lakh-lakh sukr hai bhagvan ka ke hmaree sabheyta main yeh sab nahee....kameez kee trah rishte badlna...