एक बार फिर से जाना है/
अपनी जिज्ञासा का उदगम मुझमे,
समाधान भी मुझमे,
और मुझमे ही ठिकाना है/
जीवन की राह पर
ऐडा टेढ़ा चलना रोमांच बढ़ाता है/
पर कोल्हू का बैल आगे कब बढ़ता है?
बस चलता जाता है/
पाँव जमी पर रक्खें,
और मुट्ठी में आकाश ले लें/
चलो खुद से मिल लें और
दुनिया से अवकाश ले लें/
बहुत सुन्दर पवन जी.....
जवाब देंहटाएंसरल शब्दों में बड़ी प्रेरणादायी कविता लिखी है आपने...
बधाई.
खूबसूरती से गढा है जिंदगी का फलसफा
जवाब देंहटाएंसार्थक शब्दों से परिपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंहर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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