पार करने से पहले वह बच्चा
गाडी गुजरने का इंतज़ार करता था/
फिर सिर पर गठरी रखे हुए
जैसे ही सड़क पार करता था/
वह बुदबुदाता था, कि यह शहर वाले
अलसुबह कैसे जाग पाते हैं?
अलसुबह कैसे जाग पाते हैं?
मौका मिलते ही क्यों
अपना शहर छोड़कर भाग आते हैं/
पर अब शहरी आदमी का दर्द
उसे समझ आता है/
जब वातानुकूलित कमरों में नहीं,
अपितु वृक्ष क़ी छांव तले
उसका तन, मन विश्रांति पाता है/
bahut sunder abhivykti .
जवाब देंहटाएंअपितु वृक्ष क़ी छांव तले
जवाब देंहटाएंउसका तन, मन विश्रांति पाता है/
....अदभुत भाव .... बेहद प्रसंशनीय रचना !!!
प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएंजब वातानुकूलित कमरों में नहीं,
जवाब देंहटाएंअपितु वृक्ष क़ी छांव तले
उसका तन, मन विश्रांति पाता है/
" बेहद सुकून देती पंक्तियाँ.."
regards