(२) ......पिछली पोस्ट से लगातार
पांचवा बरस जो आया,
माँ ने बस्ता सजाया,
कहती है बेटा
स्कूल भी जाना है/
पढना है, लिखना है,
अच्छा बेटा बनाना है,
पढ़े लिखे लोगों की,
जेब में ज़माना है/
जिम्मेदारिया बताती माँ,
सपने सजाती माँ,
"बेटा तुझे माँ को
परदेस घुमाना है"/
बेटा कहता है,
माँ कैसे छोड़ जाऊ तुझे,
माँ डांटती है,
यह कैसा बहाना है?
बस्ते के बहाने
कंधो की परीक्षा है,
कन्धों पर बोझ डालने की
तैयारी है/
खट्टी मीठी जिंदगी के
टेढ़े मेढ़े रास्तों पर,
मीठे मीठे सपनो की
बात ही न्यारी है/
...........यौवन अगली पोस्ट में
kavita padha kar pawan ji bachapan yaad aa gya...
जवाब देंहटाएंआप का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंप्रसंशनीय कविता,बधाई!
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