टेढ़े मेढ़े रास्तों पर,
मीठे मीठे सपनो की बात ही न्यारी है/
जिंदगी के साथ साथ
जनम लेते हैं सपने,
सपनो के साथ चलती
जीवन का पहला साल,
सपनो से मालामाल,
माँ की गोद मीठी
मीठी लोरिया सुनाती है/बच्चे के साथ,
बच्चा बन जाती है माँ,
हंसती है, गाती है,
कभी तुतलाती है /
दुसरे बरस में
धुल देती है न्यौता ,
खेलने को अपने
पास बुलाती है/
तीसरे बरस में
चोटी गुंथती है माँ,
माथे पर काजल का
टीका लगाती है/
हंसा नहीं रोया नहीं,
खाया नहीं,सोया नहीं,
क्या क्या कहके
माँ ने नजर उतारी है/
खट्टी मीठी जिंदगी के
टेढ़े मेढ़े रास्तों पर
मीठे मीठे सपनो की
बात ही न्यारी है.....
......जारी
maa ki yaden kabhi nahi bhulti...
जवाब देंहटाएंदुनिया में माँ को भुला पाना मुश्किल है ...बहुत बढ़िया रचना आभार
जवाब देंहटाएंमीठे मीठे सपनो की
जवाब देंहटाएंबात ही न्यारी है.....
-सच कहा...माँ की बदौलत ही यह सपने भी हैं.
सुन्दर रचना.
बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंखट्टी मीठी जिंदगी के
जवाब देंहटाएंटेढ़े मेढ़े रास्तों पर
मीठे मीठे सपनो की
बात ही न्यारी है.....
बहुत सुन्दर रचना है बचपन की याद दिला दी। शुभकामनाये
सुंदर रचना धीमान जी
जवाब देंहटाएंआभार
आपकी चर्चा यहां भी है
बहुत सुन्दर और बहुत गहरी कविता है ये. आपके काव्यकोश का एक और अनमोल मोती.
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम.